30 दिन में सीखो तमिऴ: Learn Tamil in 30 Days
Book Specification
Item Code: | NZA772 |
Author: | राघवन (Raghavan) |
Publisher: | Balaji Publications Chennai |
Language: | Tamil Text with Hindi Translation |
Edition: | 2020 |
Pages: | 152 |
Cover: | Paperback |
Other Details | 7.0 inch X 5.0 inch |
Weight | 110 gm |
Book Description
About the Author
“I am aware that Tamil has rich literature” 45/DPM/68 Deputy Prime Minister, India, New Delhi December 5,’68 I am glad to go through yoru publication “Learn Tamil in 30 days” through themedium of Hindi, English and Telugu, brought out by the balaji Publication, Madras, and have no doubt that those who are not converdssent with Tamil will find them very useful I am aware that Tamil has rich literature and such publications will act as an incentive to those who wish to reach and enjoy this literature.I wish you every success in your efforts in this direction.
भारतीय एकता की कडी को और सुदृढ़ बनाने के प्रयासों में यह सराहनीय विषय है कि श्री टी. ई. एस. राघवन ने 30 दिन में सीखो तमिल' की सजेना की । अंग्रेज़ी आदि अनेक भाषाओं में तो इस प्रकार की कई पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं, किन्तु देवनागरी लिपि के माध्यम से तमिल सिखाने वाली इस पुस्तक के रूप में तत्सबंधी अभाव की पूर्ति का यह महत्वपूर्ण प्रयास है।
इस पुस्तक के लेखक ने गत बीस वर्ष के अनुभव के आधार पर सामाजिक, देशिक, प्रशासनिक एवं राजनीतिक आदि अनेक शब्दों का चुन-चुनकर इम पुस्तक में समावेश किया है। यह सराहनीय है कि अपनी सीमाओं में इस पुस्तक की उपयोगिता नि:सन्दिग्ध है। मेरा विश्वास है कि तमिल सिखानेवाली इस पहली सीढ़ी को पाठक स्वागत वोन समझेंगे।
दो शब्द
इस रचना का निर्माण कैसे हुआ है?
एक दिन शाम को ' बुक कारन' के आसपास मैं खड़ा था । एक उत्तर भारतीय यात्री वहाँ आकर बुक कारनर के दूकानदार से हिन्दी में कुछ पूछ रही थी; दूकानदार जवाब दे रहा था।
इतने में दूकान के मालिक ने आसपास खड़े हुए मुझको देखकर कहा कि उत्तर भारतीय यात्रियों की सहूलियत के लिए हिन्दी माध्यम से क्यों एक तमिऴ स्वयशिक्षक का निर्माण न करें।
'बुक कारनर' के मालिक ने '' तीस दिन में सीखो तमिऴ" का कार्यभार मुझपर सौंपा । फलत: प्रस्तुत पुस्तक का सृजन हुआ।
उपयोगिता
हर साल लाखों उत्तरभारतीय तमिऴनाडु की यात्रा करते हैं । वे इन जगहों में यात्रा करते समय न गाइड को अपने साथ रख सकते, न अनुवादक को। उन लोगों की आवश्यक्ता की पूर्ति के लिए यह पुस्तक तैयार की गयी । यह रचना गैर तमिऴवालों के लिये, जो हिन्दी जानते हैं, अवश्य उपयोगी सिद्ध होगी।
विभाजन
यह पुस्तक पाँच प्रधान भागों में विभक्त है। पहले भाग में स्वर, व्यंजन तथा विशिष्ट अक्षरों का उल्लेख हुआ है।
दूसरे भाग में सरल शब्द, संज्ञा, किया आदि पर प्रकाश डाला गया है और तमिऴनाडु में प्रचिलित आम व्यवहार के शब्द दिये गये हैं जिनको जानना आगन्तुकों को वहुत ही आवयक है।
तीसरे भाग में संवादशैली अपनायी गयी है। उच्चारण की सुविधा के लिए तमिऴ शब्द देवनागरी लिपि में भी दिये गये हैं, ताकि उच्चारण में भरसक सुभीता हो।
चौथे भाग में हिन्दी व्याकरण के अंश जैसे कि विध्यर्थक, निषेधार्थक, सर्वनाम और वर्तमान आदि काली का परिचय दिया गया है।
पाँचवें भाग में कुछ चुने हुए वाक्य, कथायें, पत्रलेखन आदि उपयोगी अंश होते हैं। लेकिन इनका उच्चारण नागरी अक्षरों में नहीं होता। पाठक को पूर्वपठित अभ्यास से इनको पढना होगा।
आशा है, पाठकगण इस पुस्तक को पढ़कर तमिल का प्रारंभिक ज्ञान प्राप्त कर लेंगे और आम व्यवहार की बातचीत भी आसानी से कर सकेंगे। पाठकों से प्रार्थना है कि वे इससे लाभ आये और हमारे प्रयास को भी सार्थक बनावें।
विषय-सूची पहला माग | ||
1 | स्वर-अक्षर | 13 |
2 | स्वर के दो भेद | 13 |
3 | व्यंजन अक्षर | 14 |
4 | अकारादि कुछ शब्द | 16 |
5 | तमिऴ के कुछ अक्षर | 18 |
दूसरा भाग | ||
6 | विशेष अक्षर | 24 |
7 | कुछ सरल शब्द | 25 |
8 | संज्ञाएँ | 28 |
9 | क्रियाएँ | 29 |
10 | सर्वनाम | 31 |
11 | रोजमर्रे के आम शब्द | 32 |
12 | शरीर के अंग | 34 |
13 | स्थान | 36 |
14 | प्रकृति और ऋतुएं | 37 |
15 | दिनों तथा महीनों के नाम | 38 |
16 | समय | 39 |
17 | दिशाएँ | 40 |
18 | संख्याएँ | 41 |
19 | परिवार | 43 |
20 | घर से संबन्धित वस्तुएँ | 45 |
21 | खाद्य पदार्थ | 46 |
22 | तरकारियाँ | 47 |